मोहाली ( ऐसएऐस नगर) 26 नवंबर - भारतीय
क्रांतिकारी मार्कसवादी पार्टी (आर.एम.पी.आई.) के प्रथम चार दिवसीय अखिल
भारती सम्मेलन के समापन के अवसर पर आज यहाँ हुई प्रभावशाली जनसभा में
पार्टी की तरफ से भारत के मेहनतकशें को न्योता दिया गया कि वह लोगों की
रोज़ी-रोटी छीनने और स्वाभिमान को तहस नहस करन वाली मोदी हकूमत की
साम्राज्यवादप्रस्त नवउदारवादी नीतियों के खि़लाफ़ संघर्षों में उतरें।
सभा को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित महासचिव साथी मंगत राम पासला ने कहा कि नवउदारवादी नीतियाँ लोगों से रोजग़ार, सेहत सहूलतें, मुफ़्त और मानक शिक्षा, रिहायशी स्थान, जल- जंगल- ज़मीन, सामाजिक सुरक्षा और हर किस्म की सार्वजनिक सेवाएं छीनने का ज़रिया साबित हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि अब कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए कि उक्त नीतियाँ दुनिया भर के देशों के बहुमूल्य कुदरती संसाधनों पर तथा श्रमिक शक्ति की निर्दयी लूट करने वाले साम्राज्यवादी लुटेरों, बहुकौमी निगमों, अडानी- अम्बानी जैसे कॉर्पोरेट भेडिय़ों की लूट में और विस्तार करने का हथियार हैं और भारतीय आम जन का कुछ भी नहीं संवार सकतीं।
नये चुने गए चेयरमैन साथी के.गंगाधरन ने कहा कि उक्त नीतियों के चलते दिनों दिन तीव्र हो रही कंगाली से पैदा हो रही लोकबेचैनी के रोष से बचने के लिए साम्राज्यवादी देश और भारत के प्रतीक्रियावादी तत्व फिऱकाप्रस्ती, जातपात, भाषा, इलाकावाद और अन्य विभाजनकारी साजिशें के आधार पर लोगों को बांटने और खानाजंगी वाला माहौल तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि नवउदारवादी नीतियाँ और विभाजनकारी गतिविधियां दोनों के खि़लाफ़ समझौता रहित संग्राम ही भारतीय जनमानस के हितों की रक्षा की गारंटी हो सकते हैं और दोनों में से किसी एक के प्रति ढुलमुल या अवसरवादी रवैया इंकलाबी लहर के लिए घातक होगा।
जनसभा को संबोधित करते हुए नव निवार्चित खज़़ानची राजिंदर परांजपे ने कहा कि केंद्रीय और प्रांतीय सरकारें, खेती संकट और खेती कजऱ्े के कारण हो रही खेत मज़दूर- किसान आत्महत्याएँ, नित्य बढ़ते अपराधों, माफिया लूट, नशा तस्करी और अन्य मानवता विरोधी घटनाओं के प्रति आपराधिक लापरवाही वाला व्यवहार धारण किए बैठीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि काले धन को ज़ब्त करने के नाम पर लागू की गई नोटबन्दी ने काले धन और काले कारोबारें में ढेरों विस्तार किए हैं जबकि भारतीय राजसत्ता पर काबिज़ सवंयभू अर्थविज्ञानी अभी भी नोटबन्दी का गुणगाण किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. टैकसें की मार के नीचे कराह रहे मेहनतकशें की कुबड़ी पीठ पर ओर और ज्यादा टैकस भार लादने की साजिश से सिवा और कुछ भी नहीं। उन्होंने ने कहा कि भारतीय लोग विदेशी धनकुबेरें, भारतीय अजारेदार पूंजीपतियों और प्रशाशकी ढांचे की जालिमानी लूट का निर्दयी शिकार हो रहे हैं।
उन्होने कहा कि भारत में लोकपक्षीय सामाजिक परिवर्तन के लिए लड़ा जाने वाला वर्ग संघर्ष केवल ऊँची तनख्वाहें, स्थाई नौकरियाँ या बेहतर जीवन स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि जातपात के ख़ात्में, औरतों की हर क्षेत्र में समानता और पित्तर सत्तावाद के ख़ात्मे तथा हर किस्म के रूढ़ीवादी विचारों के विरूद्ध अविचलित संग्राम भी वर्ग संघर्ष का अभिन्न अंग हैं।
पार्टी की पंजाब इकाई के सचिव और केंद्रीय स्टैंडिंग समिति सदस्य साथी हरकंवल सिंह ने देश और पंजाब के लोगों को पार्टी की तरफ से भविष्य में लड़े जाने वाले संग्रामों के लिए हर बहुमंतवीय सहयोग करने की अपील की गई। उन्होंने सम्मेलन की सफलता के लिए बेमिसाल योगदान देने वाले पंजाब और चंडीगढ़ के मेहनतकशें तथा प्रगतिशील लोगों का तहेदिल से धन्यवाद किया।
केंद्रीय स्टैंडिंग समिति सदस्य साथी के. हरीहरन ने भी संबोधन किया।
सभा को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित महासचिव साथी मंगत राम पासला ने कहा कि नवउदारवादी नीतियाँ लोगों से रोजग़ार, सेहत सहूलतें, मुफ़्त और मानक शिक्षा, रिहायशी स्थान, जल- जंगल- ज़मीन, सामाजिक सुरक्षा और हर किस्म की सार्वजनिक सेवाएं छीनने का ज़रिया साबित हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि अब कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए कि उक्त नीतियाँ दुनिया भर के देशों के बहुमूल्य कुदरती संसाधनों पर तथा श्रमिक शक्ति की निर्दयी लूट करने वाले साम्राज्यवादी लुटेरों, बहुकौमी निगमों, अडानी- अम्बानी जैसे कॉर्पोरेट भेडिय़ों की लूट में और विस्तार करने का हथियार हैं और भारतीय आम जन का कुछ भी नहीं संवार सकतीं।
नये चुने गए चेयरमैन साथी के.गंगाधरन ने कहा कि उक्त नीतियों के चलते दिनों दिन तीव्र हो रही कंगाली से पैदा हो रही लोकबेचैनी के रोष से बचने के लिए साम्राज्यवादी देश और भारत के प्रतीक्रियावादी तत्व फिऱकाप्रस्ती, जातपात, भाषा, इलाकावाद और अन्य विभाजनकारी साजिशें के आधार पर लोगों को बांटने और खानाजंगी वाला माहौल तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि नवउदारवादी नीतियाँ और विभाजनकारी गतिविधियां दोनों के खि़लाफ़ समझौता रहित संग्राम ही भारतीय जनमानस के हितों की रक्षा की गारंटी हो सकते हैं और दोनों में से किसी एक के प्रति ढुलमुल या अवसरवादी रवैया इंकलाबी लहर के लिए घातक होगा।
जनसभा को संबोधित करते हुए नव निवार्चित खज़़ानची राजिंदर परांजपे ने कहा कि केंद्रीय और प्रांतीय सरकारें, खेती संकट और खेती कजऱ्े के कारण हो रही खेत मज़दूर- किसान आत्महत्याएँ, नित्य बढ़ते अपराधों, माफिया लूट, नशा तस्करी और अन्य मानवता विरोधी घटनाओं के प्रति आपराधिक लापरवाही वाला व्यवहार धारण किए बैठीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि काले धन को ज़ब्त करने के नाम पर लागू की गई नोटबन्दी ने काले धन और काले कारोबारें में ढेरों विस्तार किए हैं जबकि भारतीय राजसत्ता पर काबिज़ सवंयभू अर्थविज्ञानी अभी भी नोटबन्दी का गुणगाण किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. टैकसें की मार के नीचे कराह रहे मेहनतकशें की कुबड़ी पीठ पर ओर और ज्यादा टैकस भार लादने की साजिश से सिवा और कुछ भी नहीं। उन्होंने ने कहा कि भारतीय लोग विदेशी धनकुबेरें, भारतीय अजारेदार पूंजीपतियों और प्रशाशकी ढांचे की जालिमानी लूट का निर्दयी शिकार हो रहे हैं।
उन्होने कहा कि भारत में लोकपक्षीय सामाजिक परिवर्तन के लिए लड़ा जाने वाला वर्ग संघर्ष केवल ऊँची तनख्वाहें, स्थाई नौकरियाँ या बेहतर जीवन स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि जातपात के ख़ात्में, औरतों की हर क्षेत्र में समानता और पित्तर सत्तावाद के ख़ात्मे तथा हर किस्म के रूढ़ीवादी विचारों के विरूद्ध अविचलित संग्राम भी वर्ग संघर्ष का अभिन्न अंग हैं।
पार्टी की पंजाब इकाई के सचिव और केंद्रीय स्टैंडिंग समिति सदस्य साथी हरकंवल सिंह ने देश और पंजाब के लोगों को पार्टी की तरफ से भविष्य में लड़े जाने वाले संग्रामों के लिए हर बहुमंतवीय सहयोग करने की अपील की गई। उन्होंने सम्मेलन की सफलता के लिए बेमिसाल योगदान देने वाले पंजाब और चंडीगढ़ के मेहनतकशें तथा प्रगतिशील लोगों का तहेदिल से धन्यवाद किया।
केंद्रीय स्टैंडिंग समिति सदस्य साथी के. हरीहरन ने भी संबोधन किया।
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